कम्प्यूटर की संरचना
इनपुट इकाई (input unit)- कम्प्यूटर मे कोई भी डाटा अथवा प्रोग्राम जिन उपकरणो की सहायता से पहुचाया जाता है उन्हें input उपकरण कहते है
input उपकरणो के उदाहरण –
बायस सेटींग (Bios Setting)
BIOS हर कंप्यूटर में पहले से ही installed रहता है क्यूंकि CPU में प्रोग्राम BIOS के बाद ही इनस्टॉल हो पाते हैं, यह कंप्यूटर की Non-Volatile मेमोरी यानी ROM के अंदर इनस्टॉल रहता हैBIOS setting ओपन करने के लिए आपको सबसे पहले अपना कंप्यूटर रीस्टार्ट करना होगा, रीस्टार्ट करने के बाद computer चालु होते ही आपको की-बोर्ड शार्टकट keys F2, F12, Delete या Esc में से कोई भी एक key आपको बिना समय लगाये Press करनी है ऐसा करते ही आपके कंप्यूटर की BIOS setting ओपन हो जाएगी।
प्राइमरी मेमोरी
प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory)
Memory कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है जहाँ डाटा, सूचना, एवं प्रोग्राम प्रक्रिया के दौरान उपस्थित रहते है और आवश्यकता पड़ने पर तत्काल उपलब्ध रहते है यह मेमोरी अस्थिर मेमोरी होती है क्योकि इसमें लिखा हुआ डाटा कंप्यूटर बंद होने या बिजली के जाने पर मिट जाता है प्राइमरी मेमोरी कहलाती हैं| इसे प्राथमिक मेमोरी या मुख्य मेमोरी भी कहते हैं|
प्राइमरी मेमोरी मुख्यतः दो प्रकार की होती है –
RAM (Random Access Memory)
RAM या Random Access Memory कंप्यूटर की अस्थाई मेमोरी (Temprery Memory) होती हैं| की-बोर्ड या अन्य किसी इनपुट डिवाइस से इनपुट किया गया डाटा प्रक्रिया से पहले रैम में ही संगृहीत किया जाता है और सी.पी.यू. द्वारा आवश्यकतानुसार वहाँ से प्राप्त किया जाता है रैम में डाटा या प्रोग्राम अस्थाई रूप से संगृहीत रहता है कंप्यूटर बंद हो जाने या विजली चले जाने पर रैम में संगृहीत (Store) डाटा मिट जाता हैं| इसलिए रैम को Volatile या अस्थाई मेमोरी कहते है रैम की क्षमता या आकार कई प्रकार के होते है जैसे कि- 4 MB, 8 MB, 16 MB, 32 MB, 64 MB, 128 MB, 256 MB आदि | रैम तीन प्रकार कि होती हैं|
ROM (Read only memory)
रोम का पूरा नाम रीड ऑनली मेमोरी होता हैं| यह स्थाई मेमोरी (Permanent memory) होती है जिसमे कंप्यूटर के निर्माण के समय प्रोग्राम Store कर दिये जाते हैं इसलिए यह मेमोरी रीड ऑनली मेमोरी कहलाती हैं| कंप्यूटर का स्विच ऑफ होने के बाद भी रोम में संग्रहित डाटा नष्ट नहीं होता हैं| अतः रोम नॉन-वोलेटाइल या स्थाई मेमोरी कहलाती हैं|
Hard disk(हार्ड डिस्क )
हार्ड डिस्क में डाटा को स्टोर करने के लिए एक या एक से अधिक गोल घूमने वाली disk (platter) लगी होती है.
प्रत्येक प्लेटर में एक बहुत पतली पट्टी होती है, जो चुम्बकीय सामग्री (magnetic material) के इस्तेमाल से बनाई जाती है. इन platters में कई सारे track और sector मौजूद रहते है और यह spindle के माध्यम से घूमते है. जब प्लेटर घूमना शुरू करता है, तो Hard Disk में लगा एक Read/Write arm इसके उप्पर दाएं से बाएं खिसकता है.
इसका काम platter से डाटा पढ़ना और डाटा लिखना होता है. जितनी गति (speed) से स्पिंडल, प्लेटर को घुमाएगा Hard Disk में डाटा उतनी ही तेजी से स्टोर होगा. इसकी गति को RPM (Revolution Per Minute) में मापा जाता है. इसका अर्थ है, प्लेटर ने एक मिनट में कितने चक्कर लगाए. अधिकतर Hard Disk 5400 RPM से 7200 RPM की होती है
लाभ - Hard Disk एक स्टोरेज Device है जिसका इस्तेमाल हम अपने Data को Store करने के लिए करते है Hard Disk Data को Permanantly Store करके रखती है कंप्यूटर के बंद होने पर भी इसमे Store Data वैसे ही रहता है
मदरबोर्ड( Motherbord)
मदरबोर्ड को कम्प्यूटर कि रिढ कि हडडी कहा जाता है यह कम्प्यूटर का भाग है कयकि यह P C के अन्य भागो को एक सथ जोड़ता है जैसे - CPU,Expansion,video,components ,RAM आदि |
जिन मदरबोर्ड पर अलग अलग डिवाइसों को जोड़ने के लिए पोर्ट्स होते है। आमतौर पर उन्हे Integrated Motherboard के रूप में जाना जाता है। सभी नवीनतम डेस्कटॉप, सर्वर, और लैपटॉप Integrated Motherboard के रूप में जाने जाते है।
जो मदरबोर्ड अलग अलग डिवाइसों को कनेक्ट करने का समर्थन नहीं करते उन्हें Non-Integrated Motherboard कहा जाता है। पुराने डेस्कटॉप और सर्वर मदरबोर्ड Non-Integrated Motherboard प्रकार के थे। उपयोग के आधार पर मदरबोर्ड को 3 वर्गों में Classify किया जाता है।
प्रोसेसर
प्रोसेसर (Processor) – प्रोसेसर को मदरबोर्ड पर आसानी से पहचाना जा सकता है यह एक बड़ी वर्गाकार चिप होती है जिस पर हिट सिंक (Heat Sink)तथा Fan लगा होता है जो कार्य के दौरान CPU के तापमान को कम करता है |